In Ram Charitra Manas, Sage Valmiki ji says to Sri Ram that Sri Ram along with Ma Sita and Sh. Laxman, (should) abide in hearts of those who following characteristics:
References: Ram Charitra Manas written by Tulsidas: “अयोध्याकांड, 127 वे दोहा के बाद 3,4 चौपाई - भरहिं निरंतर होहिं न पूरे। तिन्ह के हिय तुम्ह कहुँ गृह रूरे।। लोचन चातक जिन्ह करि राखे। रहहिं दरस जलधर अभिलाषे।। निदरहिं सरित सिंधु सर भारी। रूप बिंदु जल होहिं सुखारी।। तिन्ह के हृदय सदन सुखदायक। बसहु बंधु सिय सह रघुनायक।।, अयोध्याकांड,128 वे दोहा के बाद 1,2,3,4 चौपाई - प्रभु प्रसाद सुचि सुभग सुबासा। सादर जासु लहइ नित नासा।। तुम्हहि निबेदित भोजन करहीं। प्रभु प्रसाद पट भूषन धरहीं।। सीस नवहिं सुर गुरु द्विज देखी। प्रीति सहित करि बिनय बिसेषी।। कर नित करहिं राम पद पूजा। राम भरोस हृदयँ नहि दूजा।। चरन राम तीरथ चलि जाहीं। राम बसहु तिन्ह के मन माहीं।। मंत्रराजु नित जपहिं तुम्हारा। पूजहिं तुम्हहि सहित परिवारा।। तरपन होम करहिं बिधि नाना। बिप्र जेवाँइ देहिं बहु दाना।। तुम्ह तें अधिक गुरहि जियँ जानी। सकल भायँ सेवहिं सनमानी।।, अयोध्याकांड, 129 वे दोहा के बाद 1,2,3,4 चौपाई - काम कोह मद मान न मोहा। लोभ न छोभ न राग न द्रोहा।। जिन्ह कें कपट दंभ नहिं माया। तिन्ह कें हृदय बसहु रघुराया।। सब के प्रिय सब के हितकारी। दुख सुख सरिस प्रसंसा गारी।। कहहिं सत्य प्रिय बचन बिचारी। जागत सोवत सरन तुम्हारी।। तुम्हहि छाड़ि गति दूसरि नाहीं। राम बसहु तिन्ह के मन माहीं।। जननी सम जानहिं परनारी। धनु पराव बिष तें बिष भारी।। जे हरषहिं पर संपति देखी। दुखित होहिं पर बिपति बिसेषी।। जिन्हहि राम तुम्ह प्रानपिआरे। तिन्ह के मन सुभ सदन तुम्हारे।।, अयोध्याकांड, 130 वे दोहा के बाद 1,2,3,4 चौपाई - अवगुन तजि सब के गुन गहहीं। बिप्र धेनु हित संकट सहहीं।। नीति निपुन जिन्ह कइ जग लीका। घर तुम्हार तिन्ह कर मनु नीका।। गुन तुम्हार समुझइ निज दोसा। जेहि सब भाँति तुम्हार भरोसा।। राम भगत प्रिय लागहिं जेही। तेहि उर बसहु सहित बैदेही।। जाति पाँति धनु धरम बड़ाई। प्रिय परिवार सदन सुखदाई।। सब तजि तुम्हहि रहइ उर लाई। तेहि के हृदयँ रहहु रघुराई।। सरगु नरकु अपबरगु समाना। जहँ तहँ देख धरें धनु बाना।। करम बचन मन राउर चेरा। राम करहु तेहि कें उर डेरा।।, अयोध्याकांड,131 वा दोहा - जाहि न चाहिअ कबहुँ कछु तुम्ह सन सहज सनेहु। बसहु निरंतर तासु मन सो राउर निज गेहु।।)”
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April 2020
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